इमदाद कुन इमदाद कुन” एक प्रसिद्ध सुफ़ियाना कलाम है जो अधिकांशत: सुफ़ी समुदायों में प्रसिद्ध है। यह गीत भक्ति और आत्मा की खोज के लिए एक प्रेरणादायक संदेश लेकर आता है। इस लेख में, हम “इमदाद कुन इमदाद कुन” के बोलों को विस्तार से व्याख्या करेंगे और इस अद्भुत सुफ़ियाना कलाम की गहराई को समझेंगे।
आई एम इदैड मी लिरिक्स
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ रंज-ओ-ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
असीरों के मुश्किल-कुशा, ग़ौस-ए-आ’ज़म ! फ़क़ीरों के हाजत-रवा, ग़ौस-ए-आ’ज़म
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
गिरा है बलाओं में बंदा तुम्हारा मदद के लिए आओ, या ग़ौस-ए-आ’ज़म
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
तेरे हाथ में हाथ मैं ने दिया है
तेरे हाथ है लाज, या ग़ौस-ए-आ’ज़म
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
निकाला है पहले तो डूबे हुओं को
और अब डूबतों को बचा, ग़ौस-ए-आ’ज़म !
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
भँवर में फँसा है सफ़ीना हमारा बचा ग़ौस-ए-आ’ज़म बचा, ग़ौस-ए-आ’ज़म
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
क़सम है कि मुश्किल को मुश्किल न पाया
कहा हम ने जिस वक़्त या ग़ौस-ए-आ’ज़म
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
मुरीदों को ख़तरा नहीं बहर-ए-ग़म से
कि बेड़े के हैं ना-ख़ुदा ग़ौस-ए-आ’ज़म
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
तुम्हीं दुख सुनो अपने आफ़त-ज़दों का
तुम्हीं दर्द की दो दवा, ग़ौस-ए-आ’ज़म
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
मेरी मुश्किलों को भी आसान कीजे
कि हैं आप मुश्किल-कुशा, ग़ौस-ए-आ’ज़म !
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर
कहे किस से जा कर हसन अपने दिल की
सुने कौन तेरे सिवा, ग़ौस-ए-आज़म !
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर !
मेरे चाँद ! मैं सदक़े, आजा इधर भी
चमक उठे दिल की गली, ग़ौस-ए-आ’ज़म !
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर !
नज़र आए मुझ को न सूरत अलम की
न देखूँ कभी रू-ए-ग़म, ग़ौस-ए-आ’ज़म !
इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन
दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ’ज़म दस्त-गीर !
“इमदाद कुन इमदाद कुन” का अर्थ
“इमदाद कुन इमदाद कुन” का अर्थ है “इमदाद करो, इमदाद करो”। यह गीत भगवान या आल्लाह से सहायता या इमदाद के लिए गाया जाता है। इसमें एक अत्यंत आध्यात्मिक संदेश होता है जो भक्तों को ईश्वर की ओर ले जाता है।
इमदाद कुन इमदाद कुन: गीत का विवरण
“इमदाद कुन इमदाद कुन” का गीत अपने मेलोदियस संगीत और गहरी भावनाओं के लिए प्रसिद्ध है। इसमें सुरीली ध्वनि और गीतकार की उत्कृष्टता का संगम होता है, जो श्रोताओं को आत्मिक आनंद का अनुभव कराता है।
निष्कर्ष
“इमदाद कुन इमदाद कुन” एक अद्वितीय सुफ़ियाना कलाम है जो भक्ति, आत्मा की खोज और सहायता का संदेश लेकर आता है। इसके गहरे और सुंदर बोल और संगीत से, यह गीत श्रद्धालुओं को आत्मिक आनंद का अनुभव कराता है और उन्हें ईश्वर की ओर ले जाता है।