“सावली सुरत पे मोहन” एक प्रसिद्ध हिंदी भजन है जो भगवान श्रीकृष्ण की शोभा को गाता है। इस भजन के बोल और संगीत ने समय के साथ लोगों के दिलों में स्थान बनाया है। इस लेख में, हम “सावली सुरत पे मोहन” गीत के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके महत्त्व को समझेंगे और इसके लिरिक्स की महत्वपूर्णता को समझेंगे।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे नैन तिरछे, दूसरा काजल लगा ।
तीसरा नज़रें मिलाना, दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया….
एक तो तेरे होंठ पतले, दूसरा लाली लगी ।
तीसरा तेरा मुस्कुराना, दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया….
एक तो तेरे हाथ कोमल, दूसरा मेहँदी लगी ।
तीसरा मुरली बजाना, दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया….
एक तो तेरे पाँव नाज़ुक, दूसरा पायल बंधी ।
तीसरा घुंगरू बजाना, दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया….
एक तो तेरे भोग छप्पन, दूसरा माखन धरा ।
तीसरा खिचडे का खाना, दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया….
एक तो तेरे साथ राधा दूसरा रुक्मण खड़ी ।
तीसरा मीरा का आना, दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया….
एक तो तुम देवता हो, दूसरा प्रियतम मेरे ।
तीसरा सपनों में आना, दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया….
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
सावली सुरत पे मोहन: एक परिचय
“सावली सुरत पे मोहन” भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध भजन है। यह भजन भक्तों को श्रीकृष्ण की प्रेम और भक्ति में लीन करता है।
भगवान श्रीकृष्ण: एक अद्वितीय चरित्र
भगवान श्रीकृष्ण हिंदू धर्म के एक प्रमुख अवतार हैं, जो महाभारत के श्रीमद् भगवद्गीता में व्यक्ति रूप में प्रकट हुए थे। उनके चरित्र, लीलाएं और ब्रह्मवाणी वाणी ने उन्हें अनंत श्रेणी का देवता बना दिया है।
सावली सुरत पे मोहन के लिरिक्स: एक अर्थात्मक विश्लेषण
“सावली सुरत पे मोहन” के लिरिक्स गहरे भावनाओं को साकार करते हैं। यह गीत भक्ति और प्रेम की महत्वपूर्ण भावना को अद्वितीय ढंग से व्यक्त करता है।
समापन
“सावली सुरत पे मोहन” गीत एक अद्वितीय और गहन भक्ति अनुभव को संवादित करता है। इस गीत के लिरिक्स और संगीत में छिपी गहराई और महत्त्वपूर्णता ने इसे एक अद्वितीय स्थान प्राप्त कराया है। इस भजन के माध्यम से भक्तों को अपने आत्मा के साथ भगवान के संबंध में एक संगीतमय, प्रेमपूर्ण समर्पण का अनुभव होता है।
इस प्रकार, “सावली सुरत पे मोहन” गीत एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है जो भक्तों को अपने आत्मा के साथ उनके ईश्वर के संबंध में संवादित करता है। इस गीत के माध्यम से, लोग भगवान के प्रति अपनी प्रेम और भक्ति को अभिव्यक्त करते हैं और आत्मिक ऊर्जा को अनुभव करते हैं।