Ravindra Jain Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics

Ravindra Jain Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics

“श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी” एक अमर भक्ति गीत है जिसने लाखों लोगों के दिलों को छू लिया है। इस भजन को महान संगीतकार और गीतकार रविंद्र जैन ने लिखा और संगीतबद्ध किया है। यह गीत भगवान कृष्ण को समर्पित है और भक्तों के लिए एक गहरा भक्ति और प्रेम व्यक्त करता है। इस लेख में हम इस भजन के बोल, इसके रचयिता, सांस्कृतिक महत्व और बहुत कुछ के बारे में जानेंगे।

रविन्द्र जैन श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी लिरिक्स

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी

हे नाथ नारायण वासुदेवा

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी

हे नाथ नारायण वासुदेवा

पितु मात स्वामी सखा हमारे

पितु मात स्वामी सखा हमारे

हे नाथ नारायण वासुदेवा

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी (आ आ आ)

हे नाथ नारायण वासुदेवा (आ आ आ)

बंदी गृह के, तुम अवतारी

कही जन्मे, कही पले मुरारी

किसी के जाये, किसी के कहाये

है अद्भुद, हर बात तिहारी

रविंद्र जैन का परिचय

प्रारंभिक जीवन और करियर

रविंद्र जैन भारतीय संगीत उद्योग में एक महान संगीतकार थे। उनका जन्म अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। जन्म से दृष्टिहीन होने के बावजूद, उन्होंने कम उम्र से ही संगीत में अद्वितीय प्रतिभा दिखाई। जैन का करियर कई दशकों तक फैला, जिसके दौरान उन्होंने कई फिल्मों, टीवी शो और भजनों के लिए संगीत तैयार किया।

भक्ति संगीत में योगदान

रविंद्र जैन विशेष रूप से भक्ति संगीत में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनकी रचनाएँ पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय संगीत और आधुनिक स्पर्श का एक अनूठा मिश्रण होती हैं, जो उन्हें व्यापक दर्शकों के लिए आकर्षक बनाती हैं। “श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी” उनकी सबसे प्रिय रचनाओं में से एक है।

“श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी” का सार

गीत के बोल का अर्थ

“श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी” के बोल भगवान कृष्ण की सुंदर स्तुति हैं। ये उनके बाल रूप से लेकर उनके दिव्य रक्षक के रूप तक विभिन्न पहलुओं का उत्सव मनाते हैं। कृष्ण के नामों की पुनरावृत्ति ध्यान और भक्ति का एक रूप है।

आध्यात्मिक महत्व

यह भजन गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसे प्रार्थना, धार्मिक सभाओं और भगवान कृष्ण को समर्पित त्योहारों के दौरान गाया जाता है। बार-बार जपने से मन को एकाग्र करने और शांति और भक्ति की भावना उत्पन्न करने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

रविंद्र जैन का “श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी” केवल एक गीत नहीं है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा है जो समय और स्थान से परे है। इसके सरल लेकिन गहरे बोलों के साथ आत्मीय धुन मिलकर एक शक्तिशाली भक्ति अनुभव पैदा करती हैं। यह भजन दुनियाभर के भक्तों को प्रेरित और उत्साहित करता रहता है, अपनी प्रासंगिकता और आकर्षण को पीढ़ियों तक बनाए रखता है। इस सुंदर रचना को सीखने, गाने, और साझा करने के द्वारा, भक्त न केवल रविंद्र जैन की विरासत का सम्मान करते हैं बल्कि भगवान कृष्ण के साथ अपनी आध्यात्मिक संबंध को भी गहरा करते हैं।

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